खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
बिहार के शेखपुरा जिले में वर्ष 2000 में जन्में शुभम कुमार सिंह के पिता नरेन्द्र कुमार सिंह और मां रूबी देवी बेटे को उच्च अधिकारी देखने का सपना देखा करते थे। शुभम ने ऋतिक रौशन की फिल्म कहो ना प्यार है देखी और उन्हें ऋतिक के साथ ही मॉडलिंग और एक्टिंग की दुनिया से प्यार हो गया। डांस में निपुण शुभम कुमार सिंह स्कूल की ओर से कई सांस्क़ृतिक कार्यक्रम में शिरकत किया करते थे। वर्ष 2013 में उन्हें राजगीर के एक कार्यक्रम में डांस करने का अवसर मिला और उन्हें इसके लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा सम्मानित किया गया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी शुभम को कविता लिखने में भी काफी रूचि रही है। वर्ष 2013 में शुभम को नालंदा में आयोजित काव्य सम्मेलन में शिरकत करने का अवसर मिला। इस दौरान मशहूर हास्य कवि अशोक चक्रधर , शैलेश लोढ़ा और अहसान कुरैशी की मौजूदगी में शुभम ने उनका दिल जीत लिया और विजेता चुने गये।मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आंखो में बड़े सपने लिये शुभम वर्ष 2014 में राजधानी पटना आ गये जहां उन्होंने इंटर की पढ़ाई पूरी की।
शुभम मॉडलिंग की दुनिया में अपना नाम रौशन करना चाहते थे इसी को देखते हुये उन्होने मशहूर कोरियोग्राफर जॉनी सिंह से ग्रुमिंग लेना शुरू कर दिया। वर्ष 2017 में शुभम सिंह ने मिस्टर एंड मिस बॉलीवुड मॉडलिंग शो में हिस्सा लिया जिसमें वह सेकेंड रनर अप बने। शुभम कुमार सिह शो के विजेता नही बन सके लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी। शुभम का मानना है कि
परेशानियों से भागना आसान होता है
हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है
हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में
और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहाँ होता है
वर्ष 2017 में शुभम कुमार सिंह ने राजधानी पटना में हुये दशहरा महोत्सव में आयोजित बाहु एंड देव प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और विजेता का ताज अपने नाम कर लिया। शुभम का मानना है कि जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना ,सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें ,बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
शुभम दशहरा महोत्सव में आयोजित मॉडलिंग शो में भले विजेता बन गये लेकिन उनकी आंखो में कुछ बडे सपने थे।
शुभम का मानना है कि बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
शुभम ने बताया कि इसी दौरान उन्हें सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक के जरिये पता चला कि पटना में रेड रती की ओर से मिस्टर एंड मिस पटना का ऑडिशन किया जा रहा है। कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की साजिश में लग जाती हैं। शुभम ने इस शो में हिस्सा लिया और मिस्टर पटना का खिताब अपने नाम कर लिया।शुभम ने बताया कि वह शो के आयोजक संजीव रंजन ,उज्जवल सिंह और कोरियोग्राफर जॉनी सिंह का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं जिन्होंने बिहारी की पावन धरती पर इतने बड़े शो का आयोजन किया। उन्होंने मिस्टर पटना का खिताब बिहार की जनता को समर्पित किया है।
टीवी से अपने करियर की शुरूआत कर बॉलीवुड में अपनी धाक जमा चुके सुशांत सिंह
राजपूत की तरह ही शुभम पहले टीवी की दुनिया में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। शुभम का कहना है कि टीवी यानी छोटा पर्दा तेजी से प्रगति कर रहा है और इसकी दर्शक संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। टीआरपी इसका प्रमाण है। शुभम का का मानना है कि नई प्रतिभाओं को लांच करने के लिए टीवी शानदार मंच है। टीवी आज यह सबसे बड़ा मीडियम बन चुका है।
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।v शुभम आज मॉडलिंग और फैशन की दुनिया में कामयाबी की बुलंदियों पर है। शुभम को 24 मार्च को सीतामढ़ी में होने वाले एक मॉडलिंग शो में शोज टॉपर बनने का प्रस्ताव मिला है और इसे लेकर वह बेहद रोमांचित महसूस कर रहे हैं। शुभम अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते है जिन्हें हर कदम उन्हें सपोर्ट किया है।
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